कबीर (संत कबीर दास) 15वीं सदी के भारतीय रहस्यवादी कवि और संत थे। वे हिन्दी साहित्य के भक्तिकालीन युग में ज्ञानाश्रयी-निर्गुण शाखा की काव्यधारा के प्रवर्तक थे।
भारतीय समाज की रूढ़िवादिता और आड़ब के खिलाफ खड़ा होने वाले संत कबीर की वाणी आज भी हर घर में गूंथी जाती है। वे भक्ति-काल के प्रमुख साहित्यकार थे और समाज में सुधारक भी थे। कबीर के दोहे सर्वप्रसिद्ध और लोकप्रिय हैं।
संत कबीरदास (Sant Kabir Das) जी ने समाज को एक नई दिशा दी। उनके दोहे आज भी मार्गदर्शक के रूप में महत्वपूर्ण हैं। उनके द्वारा बताए गए मार्ग पर चलकर ब्रह्म तक पहुँचा जा सकता है। वे निर्गुण ब्रह्म के उपासक थे। हमने कबीर दास के दोहे संकलित किए हैं जिनमें उन्होंने गुरु की महिमा का वर्णन किया है।
व्यवहार की महिमा: संत कबीर दास जी के दोहे व व्याख्या
कबीर व्यवहार की महिमा दोहा 1
कबीर गर्ब न कीजिये, इस जीवन की आस |
टेसू फूला दिवस दस, खंखर भया पलास ||
अर्थ: कबीर जी कहते हैं कि इस जीवन, इस जवानी पर घमंड मत करो, मद न करो, क्योंकि यह बहुत छोटा है। जैसे टेसू का फूल दस दिनों में खिले और फिर सूख जाए, वैसे ही यह जीवन भी जल्दी ही समाप्त हो जाएगा।
जीवन से जुड़ा सबक: इस जीवन को व्यर्थ न गंवाओ, बल्कि इसका उपयोग अच्छे कार्यों में करो।
कबीर व्यवहार की महिमा दोहा 2
कबीर गर्ब न कीजिये, इस जीवन कि आस |
इस दिन तेरा छत्र सिर, देगा काल उखाड़ ||
अर्थ: गुरु कबीर जी कहते हैं कि मद न करो चर्ममय हड्डी कि देह का | इक दिन तुम्हारे सिर के छत्र को काल उखाड़ देगा | जैसे काल मृत्यु की तलवार तेरे सिर पर उठेगी, वैसे ही तेरा घमंड भी समाप्त हो जाएगा।
जीवन से जुड़ा सबक: मृत्यु को हमेशा याद रखो और अपने जीवन में अच्छे कर्म करो।
कबीर व्यवहार की महिमा दोहा 3
कबीर थोड़ा जीवना, माढ़ै बहुत मढ़ान |
सबही ऊभा पन्थसिर, राव रंक सुल्तान ||
अर्थ: इस जीवन बहुत छोटा है, लेकिन हम इसे बहुत लंबा समझते हैं। जीना तो थोड़ा है, और ठाट – बाट बहुत रचता है| इस दुनिया में सभी एक समान हैं, चाहे वे राजा हों या रंक हों, सुल्तान हों या फकीर।
जीवन से जुड़ा सबक: इस जीवन को व्यर्थ न गंवाओ, बल्कि इसका उपयोग सभी के लिए समानता और न्याय लाने के लिए करो।
कबीर व्यवहार की महिमा दोहा 4
कबीर यह संसार है, जैसा सेमल फूल |
दिन दस के व्येवहार में, झूठे रंग न भूले ||
व्याख्या: गुरु कबीर जी कहते हैं कि इस संसार की सभी माया सेमल के फूल के भांति केवल दिखावा है | अतः झूठे रंगों को जीवन के दस दिनों के व्यवहार एवं चहल – पहल में मत भूलो |
अर्थ: यह संसार एक फूल की तरह है, जो जल्दी ही मुरझा जाता है। इस संसार की झूठी चकाचौंध में मत फंसो।
जीवन से जुड़ा सबक: इस संसार में सब कुछ मिथ्या है, इसलिए हमेशा सत्य और ईमानदारी का मार्ग अपनाओ।
कबीर व्यवहार की महिमा दोहा 5
कबीर खेत किसान का, मिरगन खाया झारि |
खेत बिचारा क्या करे, धनी करे नहिं बारि ||
अर्थ: गुरु कबीर जी के अनुसार, जीव-किसान के सत्संग-भक्तिरूपी खेत को इन्द्रिय-मन एवं कामादिरुपी पशुओं ने पूरी तरह से खा लिया है। जब स्वामी, अर्थात् जीव, उसकी रक्षा नहीं करता, तो बेचारे खेत का कोई दोष क्या है।
जीवन से जुड़ा सबक: इस संसार में सब कुछ भाग्य पर निर्भर है, इसलिए भाग्य को कोसने की बजाय, अपने भाग्य को बदलने के लिए प्रयास करो।
कबीर व्यवहार की महिमा दोहा 6
कबीर रस्सी पाँव में, कहँ सोवै सुख चैन |
साँस नगारा कुंच का, है कोइ राखै फेरी ||
अर्थ: रस्सी पाँव में बाँधकर कोई भी सुख से सो नहीं सकता है। सांस का नागाड़ा भी किसी के पास नहीं है, इसलिए किसी को भी अपने जीवन की गारंटी नहीं है। कबीर जी कहते हैं कि अपने शासनकाल में ढोल, नगाडा, ताश, शहनाई तथा भेरी भले बजवा लो | अन्त में यहाँ से अवश्य चलना पड़ेगा, क्या कोई घुमाकर रखने वाला है |
जीवन से जुड़ा सबक: इस जीवन को व्यर्थ न गंवाओ, क्योंकि यह बहुत अनमोल है।
कबीर व्यवहार की महिमा दोहा 7
आज काल के बीच में, जंगल होगा वास |
ऊपर ऊपर हल फिरै, ढोर चरेंगे घास ||
अर्थ: आज – कल के बीच में यह शहर जंगल में जला या गाड़ दिया जायेगा | आज काल मृत्यु के बीच में, जंगल होगा वास। ऊपर ऊपर हल फिरेंगे, ढोर चरेंगे घास।
जीवन से जुड़ा सबक: इस जीवन को व्यर्थ न गंवाओ, क्योंकि मृत्यु किसी को भी आ सकती है।
कबीर व्यवहार की महिमा दोहा 8
रात गँवाई सोयेकर, दिवस गँवाये खाये |
हीरा जनम अमोल था, कौड़ी बदले जाय ||
अर्थ: गुरु कबीर जी कहते हैं कि रात सोने में और दिन खाना खाने में गँवाया, तो हीरे जैसा अनमोल जन्म कौड़ी के बदले में बिक जाएगा। मनुष्य ने रात गवाई सो कर और दिन गवाया खा कर, हीरे से भी अनमोल मनुष्य योनी थी परन्तु विषयरुपी कौड़ी के बदले में जा रहा है |
जीवन से जुड़ा सबक: इस जीवन का उपयोग अच्छे कार्यों में करो, क्योंकि यह बहुत अमूल्य है।
कबीर व्यवहार की महिमा दोहा 9
ऊँचा महल चुनाइया, सुबरन कली दुलाय |
वे मंदिर खाली पड़े रहै मसाना जाय ||
अर्थ: ऊँचे महल चुनवाए गए, सोने की घंटियाँ बजाई गईं, स्वर्णमय बेलबूटे ढल्वाकर, ऊँचा मंदिर चुनवाया| वे मंदिर भी एक दिन खाली पड़ गये, और मंदिर बनवाने वाले श्मशान में जा बसे|
जीवन से जुड़ा सबक: इस जीवन में केवल भौतिक सुखों का ध्यान मत करो, बल्कि आध्यात्मिक सुखों को भी प्राप्त करने का प्रयास करो।
कबीर व्यवहार की महिमा दोहा 10
कहा चुनावै भेड़िया, चूना माटी लाय |
मीच सुनेगी पापिनी, दौरी के लेगी आप ||
अर्थ: गुरु कबीर जी कहते हैं कि चूना और मिट्टी लाओ, चूना मिट्ठी मँगवाकर कहाँ मंदिर चुनवा रहा है? पापिनी मृत्यु सुनेगी, तो आकर धर – दबोचेगी|
जीवन से जुड़ा सबक: इस संसार में सब कुछ मिथ्या है, इसलिए हमेशा सत्य और ईमानदारी का मार्ग अपनाओ।
इन दोहों में संत कबीर दास जी ने जीवन के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला है। उन्होंने बताया है कि इस जीवन पर घमंड नहीं करना चाहिए, क्योंकि यह बहुत छोटा है। उन्होंने हमें जीवन में अच्छे कार्य करने और आध्यात्मिक सुखों को प्राप्त करने का भी संदेश दिया है।
हमारा सुझाव है की इन Pages को भी पढ़ें और आगे भी शेयर करे, कबीर की सुन्दर वाणी एवं विचारों का आनन्द लें |
1. गुरु-महिमा
2. साधु-महिमा
3. आचरण की महिमा
4. सद्आचरण की महिमा
5. संगति की महिमा
6. सेवक की महिमा
7. सुख-दुःख की महिमा
8. भक्ति की महिमा
9. व्यवहार की महिमा
10. काल की महिमा
11. उपदेश की महिमा
12. शब्द की महिमा
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