कब, कँहा, कैसे, किससे, हमारी यूँही मुलाकात हो जाये | Hindi Romantic Poem

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कब, कँहा, कैसे, किससे,
हमारी यूँही मुलाकात हो जाये |

जो आज तक न मिला हो,
आज ही मिलके, शायद उससे दो चार बात हो जाये |

जिसे आज तक देखा न हो,
शायद आज ही एक आध चाय भी उसके साथ हो जाये |

जिससे कभी उम्मीद न की हो,
कभी उसी के अहसानो के हम कर्ज़दार हो जाये |

जिसका कभी जहन में एक ख्याल भी न आया हो,
उसी के ख्यालों में खोते हुए दिन से रात हो जाये |

जो कभी एक कदम भी साथ न चला हो,
क्या पता उसी के संग नए सफर की शुरुआत हो जाये |

जिससे मांगने की कभी हिम्मत न हुई हो,
अचानक हमे मिलकर हमारी सबसे प्यारी सौगात बन जाये |

कब, कँहा, कैसे, किससे,
हमारी यूँही मुलाकात हो जाये |

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